जामा मस्जिद अशरफाबाद में जलसा यौमे सिद्दीक़े अबकर का हुआ आयोजन

  • तमाम सहाबा में हज़रत अबूबक्र सिद्दीक़ रजि. का मर्तबा सबसे ऊंचा :- मौलाना उसामा क़ासमी

  • अंजुमन जमीअतुल इस्लाह के ज़ेरे एहतिमाम जामा मस्जिद अशरफाबाद में जलसा यौमे सिद्दीक़े अबकर का आयोजन
    कानपुर। अल्लाह तबारक व ताला ने कुरान में साफ-साफ सहाबा ए किराम को अपनी रजामंदी का सर्टिफिकेट दे दिया है और उन्हें जन्नती क़रार दिया है। सहाबा ए किराम की अजमत के बारे में बहुत सी हदीसे हैं।
     कितना ही बड़ा वली या कुतुब हो वह किसी सहाबी के मर्तबे को नहीं पहुंच सकता। सहाबी को अल्लाह के रसूल से जो निस्बत हासिल है उस निस्बत के आधार पर कोई बुजुर्ग कुतुब, वली भले ही अल्लाह की इबादत व जिक्र की कसरत की बिना पर मिक़दार में आगे बढ़ जाए , लेकिन सहाबा को जो निस्बत हासिल है वह निस्बत उसे कभी हासिल नहीं हो सकती। इन विचारों को व्यक्त करते हुए जमीयत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी क़ाज़ी ए शहर कानपुर ने जामा मस्जिद अशरफाबाद में अंजुमन जमीअतुल इस्लाह के द्वारा आयोजित जलसा यौमे सिद्दीके़ अकबर से खिताब करते हुए व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सहाबा का शाब्दिक अर्थ साथी है। लेकिन यह हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के शागिर्दों के लिए खास हो गया है अब यह जब भी बोला जाएगा तो उससे मुराद सहाबा ए किराम ही होंगे अब यह किसी के भी साथी को सहाबा नहीं कहा जा सकता। सारे सहाबा जन्नती है, उनमें मर्तबे का फर्क़ है। हजरत अबूबक्र सिद्दीक़ रजिअल्लाह अन्ह का मर्तबा तमाम सहाबा में सबसे ऊंचा है।उनके बाद खुलफा ए राशिदीन, अशराए मुबश्शिरा व सहाबा ए किराम रिजवानल्लाहि तआला अजमईन हैं। हजरत अबूबक्र सिद्दीक़ रजिअल्लाहु को रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की निस्बत हासिल है । सारे सहाबा अल्लाह के चहेते और लाडले हैं। जो उनकी शान में गुस्ताखी करते हैं वह अपने ईमान का जायजा लें और अपनी खैर मनाएं। इस जलसे मौलाना मुहम्मद शफी मज़ाहिरी, मौलाना नूररूद्दीन अहमद क़ासमी, मुफ्ती असदुद्दीन क़ासमी, मुफ्ती अजीज़र्रहमान क़ासमी के अलावा बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।


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